शहीद बिंदु कुमरे बलिदान दिवस – वीरता के लिये राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित देश की प्रथम आदिवासी महिला सीआरपीएफ जवान
भारत की रक्षा में, एक भूले हुए समय से, एक भूला हुआ हमला
बिन्दु कुमरे का जन्म 07 अप्रैल, 1970 को सिवनी जिला, मध्यप्रदेश के ग्राम जावरकाठी में प्रतिष्ठित जमींदार गोंड परिवार में हुआ था। उनके माता का नाम गिदिया जी और पिता पेनवासी शिवनाथ जी (पटेल) था। इनकी प्राथमिक शिक्षा ग्राम-जावरकाठी माध्यमिक शिक्षा एवं उच्च शिक्षा बरघाट में हुई कुछ वर्षों के लिए विद्या अध्ययन हेतु अपनी बड़ी बहन बैजन्ती लाल सिंह जी के साथ राजनादगांव में भी रही। बाल्यकाल से ही तैरना, निशानेबाजी, साईकिल एवं दो पहिया वाहन चलाने में रूची रखती थी।
वह देश भक्ति के गीत गुनगुनाया करती थी। किसी भी विषम परिस्थितियों में अपने उद्देश्य से पीछे नहीं हटती थी। अपने उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु बहुत ही जिद्दी थी उनमें राष्ट्रवाद का जुनुन था। अवसर मिलते ही फोर्स में भर्ती होने का साहस दिखाया। बिंदु कुमरे वर्ष 1997 में रिजर्व पुलिस बल में जीडी के पद पर भर्ती हुई थी। चयन के पश्चात बिंदु कुमरे ने आजीवन अविवाहित रहकर देश की रक्षा करने का संकल्प लिया था। 88वीं वाहिनी केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल में पदस्थ बिन्दु को जम्मू एवं कश्मीर में वीरता एवं कुशल योग्यता को दृष्टिगत रखते हुये तैनात किया गया था।
बिंदु कुमरे की श्रीनगर एयरपोर्ट पर तैनाती के दौरान दिनांक 16 जनवरी, 2001 को लश्कर ए तौयेबा के 6 फियादीन पाकिस्तानी आत्मघाती आतंकवादियों ने श्रीनगर हवाई अड्डे पर अचानक हमला कर दिया था। सभी 6 फियादीन पाकिस्तानी आत्मघाती आतंकवादी भारतीय सेना की वर्दी में थे इसलिये उन्हें पहचानने में कुछ बिलंब हुआ एवं लगभग 10.45 बजे हवाई अड्डे के प्रथम प्रवेश मार्ग जो कि टर्मिनल बिल्डिंग से करीब 2 किलोमीटर दूर स्थित है के पास पहुंचने में आतंकवादी सफल हो गये।
जहां बिंदु कुमरे सहित वहां पर तैनात सीआरपीएफ के जवानों ने पाकिस्तानी आत्मघाती आतंकवादियों को वहां पर रोका व तत्काल लश्कर ए तोयेबा के 6 आत्मघाती फियादीन पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अमर शहीद बिंदु कुमरे सहित वहां पर तैनात जवानों पर ग्रेनेड से हमला किया। करीब 3 घंटे से भी अधिक समय तक मुठभेड़ चली। बिंदु को 3 गोलियां लगी फिर भी उन्होंने 6 आतंकवादियों पर अंतिम सांस रहने तक गोलिया चलाना बंद नहीं किया एवं खुंखार आतंकवादियों को वहीं ढेर कर दिया। इस प्रकार हवाई अड्डे पर उपस्थित लोगों की सुरक्षा करने में सफल रही और शहीद हो गई।
अमर शहीद बिन्दु कुमरे को वीरता के लिये वर्ष 2002 में पुलिस मेडल से सम्मानित किया गया। बाद में उनकी याद में एक मूर्ति व शहीद स्थल का निर्माण उनके ग्राम में हुआ।
जोहार
संदर्भ एवं स्रोत
- https://www.gondwanasamay.com/2023/01/blog-post_51.html?m=1