बीजापुर जिले के बेदरे कन्या आश्रम में पढ़ने वाली 7 साल की मासूम आदिवासी बच्ची की मृत्यु हो गई
बीजापुर जिले के बेदरे में 7 साल के मासूम की मृत्यु का जांच करने पहुंचे आदिवासी युवा छात्र संगठन दन्तेवाड़ा टीम पिछले 11 अगस्त बिजापुर जिले के बेदरे के कन्या आश्रम में रहकर पढ़ने वाली 7 साल की मासूम बच्ची का मृत्यु हुआ था जिसका जानकारी लेने के लिए आदिवासी युवा छात्र संगठन दन्तेवाड़ा टीम वहाँ पहुंचकर वहां की अधिक्षिका अनुपस्थित होने के कारण वहीं के स्टाफ से बातचित किया गया है , बातचीत के दौरान AYSU TEAM को वहां के स्टाफ के द्वारा बताया गया है कि कन्या आश्रम बेदरे की अधिक्षिका को वहां के बच्चों को देख रेख करने के लिए भरपूर समय नहीं मिलता है क्योंकि उन्हें अधिक्षिका कार्य के साथ दुसरे स्कूल में पढ़ने जाना पड़ता है , जिसके चलते बच्चो को ध्यान नहीं दे पाते हैं ।
जबकि कन्या आश्रम में भी पहली से पांचवीं कक्षा और 6 वी से 8वी तक के बच्चे पढ़ते हैं 1 से 8वी कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए मात्र दो ही शिक्षक है । क्या कन्या आश्रम के अधिक्षिका को दुसरे स्कूल में भेजने की जगह वहीं के बच्चों को पढ़ाने में क्या परेशानी हो रहा है। कन्या आश्रम बेदरे की सच्चाई है कि कन्या आश्रम बेदरे में पहली से पांचवीं तक बच्चे पढ़ने के लिए एक ही क्लास रूम में बैठकर अध्ययन करते हैं और कक्षा 6वीं से 8वीं तक के एक ही क्लास रूम में बैठकर अध्ययन करते हैं।
कन्या आश्रम बेदरे में कुल मिलाकर पहली कक्षा से लेकर 8 वी क्लास तक कक्षाएं संचालित होती है।
लेकिन कन्या आश्रम बेदरे में प्रत्येक कक्षा के लिए अलग से रूम में छोड़कर मात्रा दो ही कक्ष क्रमांक वहां पर मौजूद है।
और उन दोनों कमरों में पंखा भी नहीं है और बच्चों को पढ़ाने के लिए विषयवार समय सारिणी जरूर लगा हुआ है । लेकिन कन्या आश्रम बेदरे में विषयवार शिक्षक ही नहीं है।
इन सभी जानकारी के अनुसार आदिवासी युवा छात्र संगठन टीम ये कहना चाहता है कि इससे ये साबित होता है की कहीं ना कहीं हमारे आदिवासी समुदाय के बच्चों के शिक्षा के साथ वहां जिला प्रशासन खिलावाड़ कर रहा है।
कन्या आश्रम में अध्ययनरत 7 साल की मासूम बच्ची की मौत का जिम्मेदार भी वहां के जिला प्रशासन और ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों का है।
कन्या आश्रम के बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक बताते हैं कि हम बहुत शिक्षकों की मांग को लेकर शासन को अवगत करके देखें है । पर अब तक यहां पर इस छात्रावास में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं कर रहे हैं। इसका जानकारी जिला प्रशासन दे सकते हैं। विषयवार शिक्षकों की केवल कन्या आश्रम बेदरे की ही नहीं आदिवासी बालक छात्रावास बेदरे के बच्चों के द्वारा भी ऐसा ही जानकारी दिया गया है।
आदिवासी युवा छात्र संगठन दन्तेवाड़ा टीम से ये सवाल है कि जिला प्रशासन अब तक बेदरे में ऐसा स्थिति क्यों बनाकर रखी हुई है । क्या बिजापुर जिले में कम-से-कम 12 वी पास करके घर में बैठे हुए बेरोजगार युवा / युवातियों को अतिथीशिक्षक के रुप नियुक्ति करके उस जगह पर शिक्षकों की नियुक्ति करने में किया परेशानी है ।