दक्षिन बस्तर मे तुलेडोकडी पेन तरमुल (व्यवस्था) पर सम्मेलन और परिचर्चा
दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा में दिनाँक –09/04/2023 को ग्राम– समलूर नार के जागा की भूमि में कोलाकमीन के प्रांगण पर दन्तेवाड़ा ,बिजापुर, सुकमा , बस्तर के साथ चारों जिला के रायबंडा – उइका , सोड़ी , मज्जी , फूलसूम अन्य कुटुम के दादाल , तमुर का तरमुल को एवं तुले डोकडी पेन में आने वाली पीढ़ी को तलपति , मुखिया, सियानों के मार्गदर्शन के लिए सामुहिक , एकता , संगठन के साथ जुड़ कर बुले भटके हुए लोगों को रास्ता दिखाने के लिए सम्मेलन और परिचर्चा रखा गया था । हर जिले में एक एक सम्मेलन हो रहा है ये तीसरे नंबर का हैI
इसमें हमारा पारम्परिक रूढ़ि प्रथा जो की दादा के दादा के जिर से चले आ रहे हैं पेन पुरखों के कोक में पेन व्यवस्थाओं को जानते हुए नेंग –नीति –नियम के रास्ता पर चलकर तुलेडोकडी पेन मंडा के तरमुल और गोत्र व्यवस्था के उईका , सोड़ी कुटुम के लोग अपने –अपने पेन आंगा कोला के कट्टा अनुसार लोगों को मानदेय सेवा अर्जी विनती करते हुए रीतिरिवाजों को अपना कर आदिवासियों के कहीं सालों से चले आ रहे हैं वहीं परम्पराओं को पालन करते हुए इस मध्य भारत के तेलंगाना राज्य के वारांगल से प्रवास होकर छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर दन्तेवाड़ा का समलूर नार में गोद लेकर बीजापुर जिले के कमकानार कोया भूम में बस कर पेन करसाड़ में गायता पेरमा ,पुजाड़ ,पेन तलपति ,धुरवा ,मुखिया ,सियान ,पटेल आदि के माध्यम से प्रकृति की लहरों और हल्दी ( कमका ) ,दुल (दुरला) से महालेंज और फागुन लेन्ज में लहराने वाली तुलेडोकडी पेन है ।
ये पेन अलिखित तोर पर मध्य भारत में प्रकृति पर वास करता है इस व्यवस्था को आगे आने वाला पीढ़ी को संदेश देकर कोया ,कोयतोर लोगों में जिर को जगाने के लिए लगातार पिछले महीने दो बार बिजापुर जिले के जांगला में सम्मेलन एवं परिचर्चा के साथ अभी तक प्रत्येक –प्रत्येक जिले में करते हुए ये तीसरा परिचर्चा समलूर नार में चार – पाँच जिलों के उईका , होड़ी कुटुम के लोग हजारों की जनसंख्या में तमुर –दादाल दूर –दूर से आ कर तरमुल कुटुम सम्मेलन में शामिल होकर कोलाकामिन जागा में चर्चा सफल हुआ । यहाँ मुख्य अतिथि के रूप में कमकानार से बोडडा उईका ,जगनाथ उईका सहित लछूमैया उईका (जांगला ), सोनी सोड़ी ( ज.प.स. ) मोहन मज्जी, दन्तेवाड़ा से –लिंगा सोड़ी (तलपति ) , मंगू उईका (तलपति समलूर ) ,ललित होड़ी ,हिड़मा उईका ,नंदू होड़ी , बस्तर से –समलु सोड़ी , परसु राम सोड़ी ,सुकमा से –लच्छू सोड़ी ,सोड़ी तम्पेया और समलूर नार के माटी पुजारी –परमानंद पटेल –पुराण सिंह ,समलूर सरपंच –श्रीमती –राजो सोड़ी के साथ अन्य लोग भी उपस्थित रहे । जोहार!
Note: तरमुल का मतलब –उस तुलेडोकडी पेन के कितने पेनों के भैया भाई लोग होते हैं और कितने लोगों के साथ हमारा सगा होता है सगा को छोड़कर जितने भी तुले डोकड़ी पेन में आते वो तरमुल हैI
Written By- Koya Nandoo Hodi