दंतेवाड़ा में दो दिवसीय 16वीं वार्षिक कोया करसाड़ का अंतिम दिन आयोजन
दंतेवाड़ा: आज दूसरा दिन जिला स्तरीय कोया कुटमा समाज का दो दिवसीय 16वीं वार्षिक कोया करसाड़ का अंतिम दिन आयोजन हुआ। जिसमें नंदराज बाबा गुरू ने प्रकृति के गोद ग्राम गणराज्य चोलनार अंदल कोसल दादो, बस्तर बुम में उपस्थित सर्व आदिवासी समाज प्रमुख तिरु. सुरेश कर्मा जी, एवं समस्त पदाधिकारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता आदि व कोया कुटमा समाज अध्यक्ष तिरु. महादेव नेताम जी, एवं समस्त पदाधिकारी, कार्यकर्ता आदि उपस्थित हुए।
आज का विशेष कार्यक्रम सबसे पहले हमारे पुरे बस्तर के पारंपरिक आदिवासी मूल अधिकार के लिए बुमकाल विर्दो में शहीद वीर सपूतों कोवासी रोड्डा, मड़कामि मासा, नागुल तोरला, आदि शहीदों का जीवन परिचय एवं उनका इतिहास व निबंध प्रतियोगिता कार्यक्रम हमारे अगले पीढ़ी को जिन्दा रखने हेतु, आदिवासी पारंपरिक वेशभूषा, संस्कृति पर चित्रकला एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा गया था। जिसमें निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हमारे कोया युवा-युवती; राजू कड़ती, दूसरा सन्तोष कुमार बारसे, चित्रकला में पूजा मंडावी, बामन पोडयामी मेटापाल, अक्षय ताती ने प्राप्त किया।
इसके बाद समाजिक उद्बोधन कार्यक्रम में विशेष अतिथि कोंडागांव जिला कोया कुटमा समाज अध्यक्ष तिरु. बुधरु माड़वी ने बताया कि हमारे कोया आदिवासी पारंपरिक संस्कृति पद्धति के लिए हमारी वेशभूषा एवं कोया भाषा ही हमारे पहचान है (कोया न ढाका,कोकट्टा ढाका)। इसे बचाएं रखना हमारी जिम्मेदारी है। युवा प्रभाग तिरु. कमलेश कुंजाम ने संवैधानिक अधिकार (मूल अधिकार), वन अधिकार कानून और पेशा कानून के बारे में बताया और हमारे बस्तर 5वी अनुसूची क्षेत्र में ग्राम गणराज्य ग्राम सभा, पेसा कानून का असली ताकत कि जानकारी दी।
73वें संबोधन कर सत्ता का विकेंद्रीकरण कर ग्राम गणराज्य ग्राम सभा को पावर दिया और 2004 में एक हम “आदिवासी पारंपरिक संस्कृति रुढ़ी-प्रथा” के खिलाफ कानून बनाया (गौ हत्या पर रोक); जो कि हमारे हर गांव में कर्रे पैहया दिया जाना अनिवार्य है!
‘नसा मुक्ति पर सुधार’ हेतु ति. एम.आर. कुंजाम जी, बाहरी संस्कृति परंपरा हमारी संस्कृति पर हावी होने के कारण हमारा समाज प्रभाव पड़ा है, इस पर सुधार एवं खुले बाजार में शराब बंदी पर रोका जा सकता है ।
इस अवसर पर जिला प्रशासन दंतेवाड़ा जिलाधीश कलेक्टर माननीय विनीत नंदनवर एवं अपर कलेक्टर सूरेन्र्द ठाकुर और जिला सीईओ. आदि उपस्थित रहे। आदिवासी पारंपरिक वेशभूषा संस्कृति को देखने समझने उपस्थित हुए और उन्हें कोया कुटमा समाज के द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
– नंदू होड़ी