तुलेडोकडी पेन का तरमुल संभागीय चौथा सम्मेलन व परिचर्चा

बस्तर में कोड़ेनार के रगड़ाकल जागा पर सेवा अर्जी विनती कर रायबंडा उईका, होड़ी (सोड़ी ) ,मज्जी ,फुलसुम ,ईरफा कुटुम समाज तुलेडोकडी पेन का तरमुल संभागीय चौथा सम्मेलन व परिचर्चा दिनाँक 23 /04/2023 को जिला बस्तर के बास्तानार ब्लॉक में नार –कोड़ेनार पर बीजापुर , दन्तेवाड़ा ,सुकमा से और ये चारों जिला के सियान ,मुखिया ,पेन तलपति ,पुजाड़ ,वेडे , पटेल ,कोतवाल ,सामाजिक पदाधिकारी ,मार्गदर्शक बुद्धिजीवी ने शामिल हुए हैं ।उन्हें हल्दी चावल माते पर टिका लगाकर सफेद गमछा पहनाते हुए इरुक पुंगार का माला पहनाकर सभी बुद्धिजीवियो को स्वागत किये हैं ।

तरमुल करने आये ग्रामीन

रगड़ाकल जागा के भूम में तरमुल कुटुम ,गोत्र व्यवस्था ,पेन व्यवस्था को मार्गदर्शक लोंगो ने हजारों की संख्या में शामिल हुये –दादो , बापी ,बाबो, यायो ,काकल ,कुची ,दादाल ,तमुर ,एलाड़ ,पापाल ,पिला लया , लयोर अन्य लोग यहां उपस्थित उन्हें मुख्य अतिथि–
● जगनाथ उईका कमकानार(तलपति )– से इन्होंने तुलेडोकडी पेन का उदगम स्थल और डालगुडा के बारे में समझया गया है ।
● ललित होड़ी दन्तेवाड़ा (बालूद ) –से गोत्र व्यवस्था को समझाते हुए पेनों को कैसे हमारे तरमुल कुटुम में सजोर कर बनाय रखना है करके बताये हैं ।
● बोडडा उईका कमकानार (पेन तलपति ) –इन्होंने तुलेडोकडी पेन का जन्म के बाद बस्तर की ओर प्रवास होकर कैसे होते हुए कमकानार में बसा है उसे समझाते हुए पेन मंडाओं का जानकारी विस्तार से बताते हुए ।

परिचर्चा (During the discussion)


● लच्छमैया उईका (जांगला) – हमारे पेन के कितने भाई –बहन होते हैं और वो कहा -कहा पर स्थित है । उसे बताते हुए लोगों को समझाने का कोशिश किया है।
● हिड़मा सोड़ी (तोयलंका ) – ने भरे हिड़माल पेन को बताया और हमारे परिवार तरमुल कुटुम को जानने की जरूरत है करके कहा गया है ।
● हूंगा सोड़ी (हिरमंजी )– सबसे पहले तुले डोकड़ी पेन के संगटन का शुरुआत करने वाले व्यक्ति हूँ , हमारे कुटुम में अलग–अलग जगह बुले भटके लोगों को कैसे एक करने की जरूरत है करके पीर से जोड़ने का प्रयास के लिए प्रारंभ जांगला से होकर अभी बहुत ही बड़ा संगटके तौर पर देखने को अभी मिल रहा है । शुरू में बहुत ही मेहनत करना पड़ा है । इसी को बताया गया है
● हिड़मा सोड़ी (सुकमा ) – इन्होंने भी कहा तुले डोकड़ी पेन पूरे बस्तर संभाग में प्रचलित है इसे विस्तार कर अच्छे स्तर पर पहल करने की जरूरत है , हमारे परिवार के लोगों को एक–एक कर जोड़ने का प्रयास किया जाय करके बताया गया है ।इसके सहित बुद्विजीवी लोग भी जानकारी साझा करते हुए सभी जिलों से आये लोग – लिंगा सोड़ी (तलपति ) ,राजू सोड़ी , नंदू होड़ी , मोहन मज्जी , संतु सोड़ी , रश्मया सोड़ी ,अर्जुन सोड़ी , हड़मा सोड़ी ,लच्छू सोड़ी ,सोनकू सोड़ी ,सुंदर सोड़ी के साथ अन्य लोग भी उपस्थित होकर तुले डोकडी पेन के तरमुल कुटुम परिचर्चा को सफल बनायें हैं । जोहार

नंदु होडी और तमुर दादाल
Written by Nandoo Hodi

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