राष्ट्रीय स्तर पर ग्राम सभा शक्तिकरण

दिनाँक 16.10.2024 को जावंगा ऑडिटोरियम, गीदम जिला दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़ में पेसा कानून एवं वनाधिकार मान्यता कानून के प्रावधानों का क्रियान्वयन तथा उनके संबंधित समितियों के प्रबंधन संचालन हेतु एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया।


कार्यशाला के मुख्य अतिथि
तिरु. देवा जी तोफा जी वन अधिकार कार्यकर्ता , ग्राम मेढ़ालेखा , जिला गढ़चिरोली महाराष्ट्र , मुख्य प्रशिक्षक तिरु. अश्वनी कांगे जी पेसा कानून एवं वन अधिकार मान्यता कानून के विशेषज्ञ व प्रखर जैन जी द्वारा

की थीम को लेकर पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों) पर विस्तार अधिनियम (PESA) 1996, नियम 2022, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 , पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, वन संरक्षण, नशा नियंत्रण, मादक पदार्थों पर नियंत्रण, लघु वनोपज, चार चिरौंजी, हर्रा बेहड़ा, इमली आम आवला इत्यादि। बाजार प्रंबधन , जंगल का प्रबंधन, गौण खनिज, स्वशासन, ग्राम सभा का नियम, पांचवी अनुसूची व संवैधानिक अधिकारों पर विस्तार से जानकारी दिया गया।

कार्यशाला में मुख्य अतिथि तिरु. देवा जी तोफा द्वारा गांव जंगल के देखभाल व प्रबंधन करने की अपनी अनुभव को साझा किया। जिससे दंतेवाड़ा जिले के लोगों ने तोफा जी के संघर्षों का आत्मसात किया । तोफा जी ने आगे कहा तेंदूपत्ता संग्रहण कर उसकी मूल्य निर्धारण करने का अधिकार ग्रामसभा को है साथ ही बांस का संरक्षण व प्रबंधन करने की अपनी सफलता जाहिर किये ।

मुख्य प्रशिक्षक तिरु. अश्वनी कांगे जी ने पेसा कानून के तहत ग्राम सभा सशक्त करने की ओर कैसे आगे आये कानून और नियमों का जमीनी स्तर पर कैसे क्रियान्वयन करें इसका विस्तार से जानकारी दिये ,

सौ बीमारी की एक दवाई ग्रामसभा- देवा जी तोफा

यह स्वशासन के लिए संसद द्वारा बनाया गया कानून।

पेसा कानून के तहत अन्य कानूनों में क्या क्या बदलाव आए और क्या क्या बदलनी चाहिए। साथ ही वन अधिकार मान्यता कानून को बारीकी से जानकारी दिए ।
तिरूमाल अश्विनी कांगे जी के द्वारा वनाधिकार मान्यता कानून के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि 2006 2007 एवं 2012 में कानून के तरुणावस्था में पूर्ववर्ती सरकारों ने वन अधिकार मान्यता कानून को एकमात्र व्यक्तिगत मान्यता तक ही सीमित कर रखा था। जंगलों पर समुदाय की हजारों वर्षों से परम्परागत पहुंच को मान्यता देने के काम में प्रशासन समझ और विचारधारा दोनों ही नदारत थी। देश भर के जनसंगठनों एवं खुद समुदाय के पढ़ी-लिखे नौजवानों को सामुदायिक के सामुदायिक वन अधिकार मान्यता को विधि संवत लेने के लिए आगे आना पड़ा, तब जाकर केंद्र और राज्य सरकारों ने कानून की इस सामुदायिक अवधारणा पर धीरे ही सही अपने कदम आगे बढ़ाए।
कार्यशाला के दौरान वन विभाग के अधिकारियों द्वारा सवाल किया गया कि गांव के लोग खुद जंगलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, अश्वनी कांगे जी द्वारा जवाब में बताया गया की अंग्रेजी हुकूमत की 200 वर्षों एवं आजादी के बाद 60 वर्षों तक लगातार जनमानस के दिमाग में प्रशासनिक व्यवस्था द्वारा गलत अवधारणा बैठा दिया गया कि जंगल वन विभाग का है , ऐसे में जंगलों के प्रति सुरक्षात्मक भाव संबंधित जन-मानस में कम हो गया, लेकिन वर्तमान समय में जैसे-जैसे वन अधिकार मान्यता कानून की सामुदायिक पहुंच एवं जंगलों की संरक्षण संवर्धन एवं प्रबंधन की समझ गांव तक पहुंच रही है आदिवासियों एवं अन्य परंपरागत निवासियों में वनों के हजारों वर्षों की पारंपरिक व्यवस्था लौट रही है।

पेसा और वनाधिकार मान्यता कानून के विशेषज्ञ प्रखर जैन जी ने दोनों कानूनों के नियमों पर बात रखी साथ ही जैव विविधता प्रबंधन समिति, वन गश्ती दल, संसाधन योजना प्रबंधन समिति , शांति एवं न्याय समिति , समिति की विस्तार से जानकारी दिए ।

जिले के सहायक आयुक्त मश्राम सर आदिवासी विकास दंतेवाड़ा ने जिले के समस्त ग्राम के ग्रामसभा अध्यक्ष वन अधिकार समिति के अध्यक्ष , सचिव व ग्रामवासीयों स से सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के लिए दावा तैयार करने में अपील किये ।

कार्यशाला में जिला दंतेवाड़ा के विधायक महोदय तिरूमाल चैतराम अटामी जी, जिले के कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी जी, जिला पंचायत सीईओ , एसडीएम, सहायक आयुक्त कल्याण सिंह मसराम जी, जिले के समस्त तहसीलदार महोदय, एवं राजस्व विभाग के राजस्व निरीक्षक, हल्का पटवारी गण, वन विभाग के रेंजर, डिप्टी रेंजर, वन रक्षक, पंचायत विभाग के पंचायत सचिव की उपस्थिति थे।

कार्यशाला के सफल आयोजन में तिरु. प्रकाश ठाकुर अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग , तिरु. सुरेश कर्मा अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज जिला दंतेवाड़ा, तिरू. जितेन्द्र वट्टी अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज गीदम, तिरू सुकालू मुड़ामी अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज कुआकोंडा, तिरु मासा कुंजाम, बल्लू भवानी, धीरज राना, सत्यनारायण कर्मा, नोमेश ठाकुर, महादेव नेताम, पुरन जयसवाल, राज ओयामी, राम कुंजाम, ललित सोढ़ी, हेमलाल कुंजाम, प्रदीप बघेल, तुलसी नेताम, बलराम भास्कर, बामन कुंजाम, नंदू होड़ी, मनीष मरकाम, लक्ष्मण कुंजाम, राम लाल नेताम, बालसिंग कोरषा, किशोर मंडावी, पिला राम कुहड़ामी, पार्वती मरकाम व अन्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
कार्यशाला में विशेष रूप से पंचायत जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति रही तिरूमाल रामू नेताम जिला पंचायत सदस्य, तिरूमाय विमला सोरी जिला पंचायत सदस्य, तिरू सुरेन्द्र भास्कर जनपद सदस्य,

जिले के अलग-अलग ग्रामों के ग्राम सभा अध्यक्ष, वन अधिकार समिति अध्यक्ष-सचिव सदस्य, ग्राम स्तर के सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सचिव सदस्य उपस्थिति थे।
कार्यशाला के मंच संचालन तिरू तुलसी मंडावी द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का आयोजन जिला प्रशासन दंतेवाड़ा व सर्व आदिवासी समाज जिला इकाई दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़ द्वारा किया गया ।

Credit : Nandoo Hodi

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